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बटवारा

आज दोनों ही अपनी फ़ितरतों का बटवारा कर लेते है  तुम सारी कामयाबी ले लो मैं सारी उलझने ले लेता हूँ 

औक़ात

इश्क़ गर औक़ात होता मैं सबसे बड़ा होता  बात गर दुनियादारी की हो मैं बहुत ग़रीब हूँ 

सुकून

आज ठीक चल रही है ज़िंदगी क्या हादसा है  कुछ सैलाब गर आ जाए, सुकून आ  जाए 

वैसा ही ठीक हूँ

मैं जैसा हूँ वैसा ही ठीक हूँ  कुछ  बनने जाता हूँ , बिखर जाता हूँ   हिसाब कर सकु मेरा ऐसा इल्म नहीं  कुछ गिनने जाता हूँ, तितर जाता  हूँ  रास्तो का  पता  करना मैंने छोड़ दिया कबसे   अब जो मेरा मन करे, बस मैं उधर जाता हूँ  कुछ  लोग परेशान है मेरी बेपरवाह ज़िंदगी से  कभीं दिल भी करता है की, उनके लिये सुधर जाता हूँ   आप को जो ठीक लगे इसमें से ले लीजिए  दिल में आया वो बोलके मैं तो निकल जाता हूँ 

खाक

सपनों को मैं सारे खाक करके आया हूँ  दिल की सारी हसरतों को पाक करके आया हूँ  मेरे होने से तुझको कुछ तो है हर्ज  आज खुद को मैं खुद से साफ करके आया हूँ 

तलब

जो छोड़ा मैंने ही उसकी तलब क्यों  है    मेरे अंदर ही दो इन्सान अलग क्यों है