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ख्वाब

क्या करे की  इस  ज़िंदगी से  पाखंड  निकल जाये  बाक़ी सब  भले रहे , सिर्फ ख्वाब निकल जाये  मुझें  मारनेवाले  भी  सारे  घुम  है  कहीं  चाहता हूँ जाँ कल नहीं बस आज निकल जाये